टायर काले ही क्यों होते हैं?

 यह बात तो हम सभी जानते हैं कि टायर रबड़ का होता है। लेकिन इस प्राकृतिक रबड़ का रंग सलेटी होता है तो फिर टायर काला कैसे हैं?

दरअसल इसको बनाते समय इसका रंग बदल जाता है यह सलेटी से काला बन जाता है इस प्रक्रिया को वल्कनाइज़ेशन कहा जाता है।

टायर बनाने के लिए उसमें काला कार्बन मिलाया जाता है जिससे रबर जल्दी न घिसे. अगर सादा रबर का टायर 8 हज़ार किलोमीटर चल सकता है तो कार्बन युक्त टायर एक लाख किलोमीटर चल सकता है. काले कार्बन की भी कई श्रेणियां होती हैं. और रबर मुलायम होगी या सख़्त यह इसपर निर्भर करेगा कि कौन सी श्रेणी का कार्बन उसमें मिलाया गया है. मुलायम रबर के टायरों की पकड़ मज़बूत होती है लेकिन वो जल्दी घिस जाते हैं जबकि सख़्त टायर आसानी से नहीं घिसते.

कार्बन युक्त टायर सादा रबर के टायर से 10 गुना से भी ज़्यादा चलता है। काले कार्बन की कई श्रेणियाँ होती है। रबर कितना सख़्त या मुलायम होगा ये इस बात पर निर्भर करता है की कौनसी श्रेणी का कार्बन मिलाया गया है।

इसके अलावा इसमें सल्फर भी मिलाया जाता है। कार्बन ब्लैक से टायर का रंग काला हो जाता है। इसके काले रंग के पीछे एक कारण यह भी है कि यह अल्ट्रावायलेट किरणों से रबड़ को बचाता है।


tayr for car




बच्चों की साइकिल में रंग-बिरंगे टायर इसलिए देखने को मिलते हैं क्योंकि वह रोड पर ज्यादा नहीं चलती और उनमें कार्बन ब्लैक नहीं मिलाया जाता जिससे वह टायर बहुत जल्दी घिस जाता है और वह निम्न कोटि के टायर होते हैं।


tayr for kids


Thanks for reading......




Post a Comment

Previous Post Next Post