Digilocker App की क्या खासियत है?

 इसके बारे में कुछ वर्ष पहले मेरे एक दोस्त ने विस्तारपूर्वक बताया था। तो आज मैं भी यहाँ इस पर एक विस्तृत जवाब लिखने जा रहा हूँ।

digilocker
                                                                           

DigiLocker या Digital Locker एक तरह का वर्चुअल लॉकर है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने जुलाई 2015 में लॉन्च किया था। डिजीलॉकर को डिजिटल इंडिया अभियान के तहत शुरू किया गया था। डिजीलॉकर में देश के नागरिक पैन कार्ड, वोटर आईडी, पासपोर्ट आदि के साथ कोई भी सरकारी प्रमाण-पत्र स्टोर कर सकते हैं। हाँ, इसमें हम अधिकतम 10MB की डाक्यूमेंट्स ही अपलोड कर सकते हैं। अगर संक्षेप में कहा जाय तो इसके तहत हम अपने सारे डॉक्यूमेंटस की सॉफ्ट कॉपी को ऑनलाइन एक वेबसाइट या मोबाइल एप्लीकेशन पर save कर सकते हैं।

डिजिलॉकर कितना सुरक्षित है?

यह सवाल मन में आना स्वाभाविक है क्योंकि जिस तेज गति से साईबर खतरे बढ रहे हैं और सूचना की उपलब्धता डिजिटल हो रही हैं तो डिजिटल प्लैटफॉर्म की सुरक्षा जाँच करना हर युजर का दायित्व बन जाता है और एक सुरक्षित प्लैटफॉर्म की उपलब्धता उसका अधिकार भी है।

मगर, डिजिलॉकर की सुरक्षा की चिंता करने की कोई जरुरत नहीं है। यह एक सुरक्षित और कुशल डिजिलट प्लैटफॉर्म है। भारत सरकार द्वारा इसे और अधिक सुरक्षित बनाने के लिए समय-समय दिशा-निर्देश जारी किये जाते रहते हैं।

इसलिए इसका हर अपडेटेड संस्करण गहन जाँच और मानक कोडिंग पर खरा उतरने के बाद ही जारी किया जाता है।

डिजिलॉकर की सुरक्षा के लिए निम्न उपाय किये गए हैं:-

256 Bit SSL Encryption – डिजिलॉकर पर सूचनाओं का आदान-प्रदान 256 बिट की सेक्योर सॉकेट लेयर (SSL) की कूत तकनीक से होता है। यह उपलब्ध Encryption Technology का सबसे सुरक्षित संस्करण है।

OTP Based-Registration – इस प्लैटफॉर्म पर केवल Genuine User ही अपना पंजिकरण करा सकता है क्योंकि पंजिकरण की पूरी प्रक्रिया मोबाईल-आधारित है जिसे ओटीपी द्वारा प्रमाणित किया जाता है।

Aadhar-Based Authentication – डिजिलॉकर पर दस्तावेज तथा प्रमाण-पत्रों को जारी करने के लिए युजर को आधार-आधारित प्रमाणिकरण प्रक्रिया से गुजरना पडता है।

ISO 27001 Certified Data Center – युजर का डेटा (दस्तावेज, प्रमाण-पत्र, निजी जानकारी) इंडिया में ISO 27001 के मानस से प्रमाणित डेटा सेंटरों में सुरक्षित रखा जाता है और इसका पर्याप्त बैकअप भी लिया जाता है।

Timed Logout – यदि युजर द्वारा एक निश्चित समय तक कोई गतिविधि नहीं की जाती है तो डिजिलॉकर प्लैटफॉर्म से उसे स्वत: लॉग आउट कर दिया जाता है। अब उसे दुबारा से लॉग इन करना पड़ेगा तभी उपलब्ध सेवाओं को एक्सेस कर पाएगा।

इनके अलावा कुछ अन्य सुरक्षा मानकों को अपनाया जाता है ताकि नागरिकों को एक सुविधाजनक, तेज और सुरक्षित प्लैटफॉर्म उपलब्ध करवाया जा सके।[1]

अब Digilocker की खासियत के बारे में बात करते हैं।

  • DigiLocker में कभी भी डॉक्यूमेंट ख़राब नहीं हो सकते। कई ऐसे जरुरी कागज होते हैं जो कुछ सालों बाद पीले पड़ जाते हैं या खराब हो जाते हैं। लेकिन जब हम अपने डाक्यूमेंट्स को स्कैन करके डिजीलॉकर में सेव कर देते हैं तो ऐसी सारी समस्याओं का समाधान हो जाएगा।
  • डिजिटल लॉकर का एक सबसे बड़ा फायदा यह है कि जो डॉक्यूमेंट DigiLocker में सेव हो गए वो कभी नही खो सकते। पहले क्या होता था कि हमें अपने ओरिजिनल डाक्यूमेंट्स को सबमिट करने के लिए साथ ले जाना होता था और कभी कभी ऐसे में हमारे डाक्यूमेंट्स खो जाते थे।
  • Digital Locker में सेव डाक्यूमेंट्स हम दुनिया के किसी भी कोने से use कर सकते है। इसके लिये बस हमारे पास इन्टरनेट होना चाहिए।
  • कभी कभी ऐसा होता है कि हम गाड़ी चला रहे होते हैं और ड्राइविंग लाइसेंस हम घर पर भूल जाते हैं या गाड़ी के पेपर हमारे पास हार्ड कॉपी में उपलब्ध नही होते तो ऐसे में डिजीलॉकर हमारे लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है। इसका use करके हम ऐसी समस्याओं से त्वरित निजात पा सकते हैं।
  • अब डिजिटल लॉकर सभी सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं में मान्य है क्योंकि डिजीलॉकर केंद्र सरकार की योजना है और कोई भी संस्था या संगठन इसे मानने से इंकार नही कर सकता।
  • डिजिटल लॉकर लांच होते समय ही सरकार ने ये भी ऐलान कर दिया था कि अब किसी सरकारी ऑफिस में डॉक्यूमेंट की फोटोकॉपी देने की जरूरत नही है। सिर्फ अपने डॉक्यूमेंट की सॉफ्ट कॉपी ईमेल कर दें, काम हो जाएगा। अतः डाक्यूमेंट्स को कैरी करने के झंझट से मुक्ति मिलती है।

अपने डॉक्यूमेंट को ड‍िजी लॉकर में सेव करने के लिए हमें अपने सभी डाक्यूमेंट्स को स्कैन करना पड़ता है। यदि हम चाहें तो अपने डाक्यूमेंट्स की एक क्लियर फोटो भी क्लिक कर उसे ड‍िजी लॉकर में सेव कर सकते हैं।

ypsonglove


2 Comments

Previous Post Next Post