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Solar Eclipse (सूर्य ग्रहण) June 2020 Live Updates: 21 जून को सूर्य ग्रहण घटित होगा। यह इस साल का पहला सूर्य ग्रहण है। सूर्य ग्रहण भारतीय समयानुसार सुबह 10 बजकर 15 मिनट से शुरू होगा, जो दोपहर 3 बजकर 4 मिनट पर समाप्त होगा। यह सूर्य ग्रहण वलयाकार, जो रिंग ऑफ फायर की तरह दिखाई देगा। यह सूर्य ग्रहण रविवार को मिथुन राशि और मृगशिरा नक्षत्र में लगेगा। मिथुन बुध ग्रह की राशि है और मृगशिरा नक्षत्र का स्वामी मंगल ग्रह है।
ग्रहण के शुरुआत में कुछ ऐसा दिखाई देगा सूर्य -
सूर्य ग्रहण के लगने के में अब कुछ ही देर बाकी है। ग्रहण धीरे-धीरे आंशिक सूर्य ग्रहण के तौर लगना शुरू होगा। फिर जैसे जैसे समय बीतेगा तब ग्रहण अपने चरम की तरफ बढ़ना शुरू हो जाएगा। दोपहर के समय पर सूर्य अंगूठी की भांति चमकता हुआ दिखाई देगा।
नग्न आंखों से सूर्य ग्रहण देखना हानिकारक -
थोड़ी ही देर में सूर्य ग्रहण आरंभ हो जाएगा। सूर्य ग्रहण के समय सूर्य को देखते हुए काफी सावधानियां बरतनी चाहिए। कहा जाता है सूर्य ग्रहण को नंगी आंखों से नहीं देखना चाहिए। इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। सूर्य ग्रहण को देखने के लिए फिल्टर का उपयोग करना आंखों के लिए अच्छा रहता है।
क्या होता है वलयाकार सूर्य ग्रहण -
यह सूर्य ग्रहण वलयाकार सूर्य ग्रहण है। इसके अलावा दो तरह का सूर्य ग्रहण होता है एक पूर्ण सूर्य ग्रहण और दूसरा आंशिक सूर्य ग्रहण। वलयाकार सूर्य ग्रहण में चंद्रमा पृथ्वी से काफी दूरी पर रहते हुए सूर्य और पृथ्वी के बीच में आ जाता है। इस स्थिति में चंद्रमा के अधिक दूरी पर होने के कारण चंद्रमा सूर्य का केवल बीच का हिस्सा ही ढक पाता है। पृथ्वी से सूर्य को देखने पर सूर्य पूरी तरह से चंद्रमा से ढका हुआ नहीं दिखता है बल्कि सूर्य के बाहर का हिस्सा बच जाता है तब सूर्य कंगन की तरह चमकता हुआ दिखाई देता है। इस खगोलीय घटना को ही वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते हैं।
सूर्य ग्रहण के समय क्या कहता है शास्त्र -
शास्त्रों में सूर्य ग्रहण के दौरान कुछ नियमों का पालन करने के बारे में बताया गया है। ऋषि-मुनियों ने सूर्य ग्रहण के लगने के दौरान भोजन न करने की सलाह दी है। मान्यता है कि ग्रहण के समय वातावरण में कीटाणु और नकारात्मक ऊर्जाएं चारों तरफ फैली हुई होती हैं। ऐसे में खाने की चीजों और पेय पदार्थों में छोटे-छोटे कीटाणु एकत्रित होकर उन्हें दूषित कर देते हैं। इसलिए ग्रहण के दौरान खाने की चीजों में कुश या तुलसी के पत्तों को डाल कर रख दिया जाता है। ताकि सारे कीटाणु कुश में एकत्रित होकर मर जाते हैं।
महर्षि अत्रिमुनि ने दिया था ग्रहण का ज्ञान -
वैदिक काल से ही ग्रह-नक्षत्रों के बारे में भारतीय ऋषियों को जानकारी प्राप्त थी। ऋग्वेद के अनुसार अत्रि मुनि और उनके परिवार के पास ग्रहण का ज्ञान था। अत्रिमुनि को पास समस्त खगोलीय संरचना का ज्ञान मौजूद था। महर्षि अत्रि मुनि ग्रहण के ज्ञान को देने वाले प्रथम आचार्य थे। वैदिक काल से ही ग्रहण से जुड़ी तमाम जानकारियां हमारे ऋषियों और मुनियों के पास मौजूद थी।
देश के इन हिस्सों में दिखेगा वलयाकार ग्रहण -
विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कहा कि अनूपगढ़, सूरतगढ़, सिरसा, जाखल, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, देहरादून, तपोवन और जोशीमठ में रहने वाले लोग वलयाकार ग्रहण को देख पाएंगे। वहीं शेष भारत में लोग आंशिक ग्रहण देख सकते हैं। यह इस साल का पहला सूर्य ग्रहण है।
दुर्लभ खगोलीय घटना -
21 जून को सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। इसे लेकर विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय का कहना है कि यह एक दुर्लभ खगोलीय घटना है। यह साल का पहला सूर्य ग्रहण होगा। इसे रिंग्स ऑफ फायर ग्रहण के नाम से भी जाना जाता है। साल का पहला सूर्य ग्रहण ग्रीष्म संक्रांति में लग रहा है, जो उत्तरी गोलार्ध में सबसे लंबा दिन है।
अमावस्या का श्राद्ध कर्म ग्रहण के बाद होगा -
देश में सुबह 10 बजकर 15 मिनट से सूर्य ग्रहण की शुरुआत हो जाएगी। इस सूर्य ग्रहण को कंकणाकृति खंडग्रास ग्रहण कहा जाता है। इसे चूणामणि ग्रहण के नाम से भी जाना जाता है। ज्योतिषियों के अनुसार अमावस्या पर यह ग्रहण लगने के कारण अमावस्या का श्राद्ध कर्म ग्रहण के बाद होगा। इससे पहले किए गए श्राद्ध कर्म का कोई महत्व नहीं होगा।
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